Raghuvansh Prasad Singh Biography : रघुवंश प्रसाद सिंह का निधन, लालू से हुई थी जेल में दोस्‍ती, 'मनरेगा' के शिल्‍पकार

 

Raghuvansh Prasad Singh Biography : लालू प्रसाद यादव के साथ उनके दोस्‍त और राजनेता साथी रघुवंश प्रसाद  सिंह का साथ चार दशक पुराना रहा है। 

रघुवंश प्रसाद सिंह का निधन, लालू से हुई थी जेल में दोस्‍ती

Raghuvansh Prasad Singh (6 jun 1946 - 13 septaber 2020 ) :  राष्‍ट्रीय जनता दल (राजद) के वरिष्‍ठ नेता और 'मनरेगा' जैसी शानदार योजनाके शिल्‍पकार समाजिक न्‍याय की जंग लड़ने वाला राजेनता रघुवंश प्रसाद सिंह का आज दिल्‍ली के एम्‍स में निधन हो गया है । सितंबर में उनकी तबियत खराब हो जाने के बाद एम्‍स में भर्ती कराया गया था,11 सितंबर से उनको सांस लेने में तकलीफ के बाद वेटीलेटर पर रखा गया था जहां आज उनका निधन हो गया । उनका अंतिम संस्‍कार कल बिहार के वैशाली जिले में किया जाएगा जहां से वे 5 बार सांसद निर्वाचित हुए थे। रघुवंश प्रसाद सिंह का जन्‍म 6 जून 1946 को वैशाली जिले में हुआ था । रघुवंश  प्रसाद सिंह छात्र जीवन में मेधावी छात्र थे और बिहार यूनिवर्सिटी से उन्‍होंने गणित में पीएचडी की उपाधि प्राप्‍त की थी। शिक्षा पूरी हो जाने के बाद  बिहार के सीतामढ़ी जिले में वह एक शिक्षक की भूमिका में भी नजर आए। वह सामाजिक न्‍याय के प्रति सजग रहने वाले जागरुक नेता थे और जेपी आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने के साथ ही कर्पूरी ठाकूर के राजनीति से भी प्रभावित थे। बिहार के पूर्व मुख्‍यमंत्री लालू प्रसाद यादव से उनकी दोस्‍ती जेपी आंदोलन के समय हुई थी और कर्पूरी ठाकुर के निधन के बाद से वह लालू प्रयाद यादव के साथ दोस्‍ती निभाते हुए साथ- साथ थे । पिछले दिनों उन्‍होंने एम्‍स में इलाज के दौरान एक पत्र लिखकर पार्टी से इस्‍तीफा दे दिया था लेकिन राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने उनके इस्‍तीफे को स्‍वीकर नहीं किया था और कहा था 'आप कहीं नहीं जा रहे हैं, ठीक हो जाइए तो बाकी सभी बातो पर बैठकर चर्चा करेंगे। लेकिन आज रघुवंश प्रसाद का निधन दिल्‍ली के एम्‍स में हो गया है। 

रघुवंश प्रसाद सिंह कोराना से ठीक हो गए थे,लेकिन सितंबर में अस्‍वस्‍थ होने के चलते एम्‍स में हुए थे भर्ती

रघुवंश प्रसाद सिंह ( Raghuvansh Prasad Singh ) पिछले कुछ दिनों से अस्‍वस्‍थ चल रहे थे और उनको सांस लेने में तकलीफ हो रही थी जिसके बाद उनको एम्‍स के आईसीयू में एडमिट कराया गया था। डॉक्‍टरों ने उनको बचाने का भरपूर प्रयास किया लेकिन आज  रविवार को उनका निधन हो गया और बिहार और देश की राजनीति में गरीबों के लिए काम करने वाले इस जननेता का निधन हो गया। 18 जून को पटना में उनको कोराना हो गया था  लेकिन पटना में इलाज कराने के बाद वह स्‍वस्‍थ हो गए थे । सितंबर माह में एक बार फिर वे कुछ अस्‍वस्‍थ हुए तो उनको दिल्‍ली के अखिल भारतीय आर्युविज्ञान सस्‍थान एम्‍स में भर्ती कराया गया था । 

डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार में रघुवंश प्रसाद सिंह मनरेगा के बने शिल्‍पकार, सभी ने इस योजना को सराहा

2004 में जब यूपीए सरकार सत्‍ता में आई थी तो राजद कोटे से लालू प्रसाद यादव रेलमंत्री और रघुवंश प्रसाद सिंह ग्रामीण विकास मंत्री बनाए गए थे । रघुवंश प्रसाद सिंह ने मनरेगा योजना के असली शिल्‍पकार मानें जातें है और इस योजना के रास्‍तें में जो भी बाधाएं आई उसको उन्‍होंने हल करते हुए 2006 में इस योजना को लागू करने में सफलता प्राप्‍त कर ली और 2008 तक देश के 200 प्रमुख पिछड़े जिलों में इस योजना को लागू करवाने में सफल रहे । इस योजना से देश के गरीबों को 100 दिन रोजगार की जिस  गारंटी का वादा किया गया उससे लाखों करोड़ों गरीब लोगों को फायदा हुआ । जब डॉ मनमोहन सिंह की सरकार 2009 सत्‍ता में एक बार फिर वापसी करने में कामयाब रही तो एक्‍सपर्ट ने माना कि यूपीए की वापसी में मनरेगा का भी बहुत बढ़ा योगदान है। दरअसल गणित में पीएचडी रघुवंश प्रसाद सिंह इस बात को बखूबी जानते थे कि अगर गरीबी दूर करनी है तो लोगों को रोजगार देना ही होगा और यहीं उन्‍होंने मंत्री रहते हुए किया । 

 रघुवंश और लालू का याराना : जेपी आंदोलन और जेल में हुई लालू से मुलाकात और चार दशकों की पुरानी दोस्‍ती  

रघुवंश प्रसाद सिंह यूं तो बिहार के सीतामढ़ी में गणित के शिक्षक थे लेकिन बिहार में उस समय चले शिक्षक आंदोलन में वह बेहद सक्रिय भूमिका निभाने में संकोच नहीं करते थे। बिहार की राजनीति में वे सबसे अधिक कर्पूरी टाकुर से प्रभावित थे और राजनीति में आने के बाद वे उनके मंत्रीमंडल में भी शामिल हुए थे । जेपी आंदोलन में भी उन्‍होंने सक्रिय भूमिका निभाई थी और इसी दौराज जब वे जेल में बंद थे तो उनकी दोस्‍ती लालू प्रसाद यादव से हुई थी। कर्पूरी ठाकुर के निधन के बाद लालू प्रसाद यादव के साथ उनकी दोस्‍ती और राजनीति दोनों साथ-साथ चली। लालू प्रसाद यादव ने भी रघुवंश प्रसाद को अपने साथ रखा और दोनों राजनेताओं ने सामाजिक न्‍याय और समाजवादी सोच वाली राजनीति को आगे बढ़ाया। लालू के सबसे मुश्किल दिनों में जब उनके प्रमुख साथी उनको छोड़कर राजनीति पाला बदल रहे थे ऐसे समय में भी अगर लालू प्रसाद यादव के साथ कोई साथ खड़ा रहा तो वे उनके सबसे पुराने साथी रघुवंश प्रसाद ही थे। लालू ने भी उनके हमेशा भरपूर सम्‍मान दिया। 

राजद में इन दिनों जब बिहार चुनाव से पहले युवा नेताओं की सोच रघुवंश प्रसाद सिंह से विपरीत जाती दिखी तो रघुवंश प्रसाद ने पहले तो पार्टी को चेताया लेकिन जब उनको लगा की पार्टी में उनकी उपेक्षा हो रही है तो उन्‍होने एम्‍स से ही एक कागज में कुछ शब्‍दों में अपना इस्‍तीफा राष्‍ट्रीय जनता दल के अध्‍यक्ष लालू प्रसाद यादव को यह कहते हुए  अपना इस्‍तीफा भेज दिया कि ' कर्पूरी ठाकुर के निधन के बाद 32 साल तक आपके पीछे चला अब और नहीं पार्टी और कार्यकताओं का भरपूर स्‍नेह मिला,क्षमा करें। "  लेकिन राजद के राष्‍ट्रीय अघ्‍यक्ष  लालू प्रसाद यादव ने उनका इस्‍तीफा यह कहते हुए अस्‍वीकर कर दिया कि ' आप कहीं नहीं जा रहे हैं,ठीक हो जाइए तो बैठकर बात करते हैं ।'  लेकिन ऐसा हो ना सका और बिहार  की वैशाली जिले से 5 बार सांसद रह चुके रघुवंश प्रसाद सिंह का निधन हो गया। 


 

 

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