अकाली दल ( akali dal ) ने एनडीए का साथ छोड़ा, किसान बिल पर एनडीए गठबंधन आखिर क्‍यों टूटा ?

 


किसान बिल पर अकाली दल:हरसिमरत कौर के इस्‍तीफे के 9 दिन बाद एनडीए गठबंधन टूटा  

किसान बिल पर ऐसा लगता है पंजाब ही नहीं देश की राजनीति पर भी गहरा असर पड़ने जा रहा है । एनडीए की प्रमुख सहयोगी पार्टी अकाली दल ने आज मोदी सरकार द्ववारा लाए गए किसान बिल पर विरोध करते हुए दो कदम आगे बढ़कर एनडीए से अलग होने का फरमान सुना दिया है । इस तरह से पंजाब में एनडीए की सबसे पुरानी घटक दल रही शिरोमणि अकाली दल और भाजपा का 22 साल पुराना संबंध आज टूट गया है । एक सप्‍ताह पहले ही शिरोमणि अकाली दल की प्रमुख नेता हरसिमरत कौर ने किसान बिल का विरोध करते हुए मोदी सरकार के मंत्रीमंडल में अपने पद से इस्‍तीफा देते हुए अलग होने का ऐेलान कर दिया था । अकाली दल पंजाब में ऐसे समय अलग हुआ है जब पंजाब चुनाव में 18 माह का समय शेष है, माना जा रहा है कि पंजाब के किसानों में जिस तरह का किसान बिल पर आक्रोश है उसे देखते हुए अगर अकाली दल अभी भी एनडीए के साथ बना रहता तो राज्‍य की राजनीति में उसे बहुत अधिक नुकसान उठाना पड़ सकता था । 

हरसिमरत कौर ने किसान बिल पर दिया था इस्‍तीफा

इससे पहले अकाली दल नेता हरसिमरत कौर ने मोदी सरकार में अपने मंत्री पद से  17 सितंबर को अपना इस्‍तीफा किसान बिल का विरोध करते हुए दिया था । वह मोदी सरका में फूड प्रोसेसिंग कैबिनेट मिनिस्‍टर के पद पर थी लेकिन उन्‍होंने मोदी सरकार द्ववारा लाए जा रहे नए किसान बिल को किसान विरोधी बताते हुए अपने पद से इस्‍तीफा दे दिया था । गौरतलब है कि मोदी सरकर ने किसानों के लिए तीन बिल प्रस्‍तावित किए है जिसका कांग्रेस सहित विपक्ष के कई दल पहले से ही विरोध कर रहे हैं। हरसिमरत कौर मोदी सरकार में मंत्री के पद पर थी ऐसे में उनका बिल के विरोध में इस तरह से इस्‍तीफा देने मोदी सरकार के लिए करारा झटका माना जा रहा है । 

ह‍रसिमरत कौर के इस्‍तीफ पर पीएम मोदी ने कहा, किसानों को भ्रमित करने में कई सारी शक्तियां लगी हैं 

मोदी सरकार की अपनी ही सहयोगी पार्टी अकाली दल जो की एनडीए का हिस्‍सा है किसान बिल का जिस तरह से विरोध किया है उससे बिल पर सवालिया निशान तो लग ही गए है। मामलें की गंभीरत को देखते हुए स्‍वयं पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर सरकार की तरफ से किसानों से कहा था कि  " किसानों को भ्रमित करने के लिए कई सारी शक्तियां लगी हुई है । मैं अपने किसान भाइयों और बहनों को आश्‍वस्‍त करता हूं कि MSP और सरकारी खरीद की व्‍यवस्‍था बनीं रहेगी। ये विधेयक वास्‍तव में किसानों को कई और विकल्‍प प्रदान कर उन्‍हें सही मायनों में सशक्‍त करने वाले हैं।"   मोदी ने इस संबंध में जय किसान हैशटेग का उपयोग करते हुए बिल को लोकसभा में पास होने को ऐतिहासिक बताते हुए एग्रीकल्‍चर के लिए महत्‍वपूर्ण पल बताया था । हरसिमरत कौर के इस्‍तीफे पर पीएम मोदी ने अपनी जो बात रखी थी उसके ठीक 9 दिन बाद अकाली दल ने किसार बिल पर दो कदम आगे बढ़ते हुए एनडीए से अपने 22 साल पुराना गठबंधन तोड़ने का फैसला कर लिया है। गौरतलब है कि 1998 में जब एनडीए गठबंधन बना था तो भाजपा के प्रमुख सहयोगी दलों में अकाली दल भी शामिल था । 

हरसिमरत कौर ने किसान बिल के विरोध में इस्‍तीफा देने के बाद जो कहा था 

मोदी सरकार में मंत्री रही हरसिमरत कौर ने बिल को किसान विरोधी बताते हुए इस्‍तीफा देने के बाद ट़वीट करते हुए  कहा कि मुझे गर्व है कि मैं किसानों के साथ उनकी बहन और बेटी के रूप में साथ खड़ी हूं । हालांकि किसान बिल को लेकर अपनी पार्टी शिरोमणि अकाली दल के पार्टी अध्‍यक्ष सुखबीर सिंह बादल की बात को हरसिमरत कौर ने संसद में सही साबित कर दिया जिसमें उन्‍होंने कहा था कि हरसिमरत कौर बादल अपना पद छोड़ेंगी । 

आखिर शिरोमणित अकाल दल किसान बिल का विरोध क्‍यों कर रहा है ? 

जब देश के प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी किसान बिल को कृषि क्षेत्र के लिए ऐतिहासिक सुधार बताते हुए अन्‍नदाता किसान के लिए महत्‍वपूर्ण बता रहे हैं तो सवाल उठता है कि ऐसी क्‍या बात है जो एनडीए की घटक दल किसान बिल का विरोध करते हुए केद्र सरकार के खिलाफ इतना महत्‍वपूर्ण कदम उठा लिया । निश्चित तौर पर हरसिमरत कौर का इस तरह से इस्‍तीफा देना और  एक सप्‍ताह बाद अकाली दल का एनडीए गठबंधन से अलग हो जाना  मोदी सरकार के लिए किसी झटके से कम नहीं है। एक तो किसान बिल पर विपक्ष पहले ही मोदी सरकार को निशाना बना रहा था उसके बाद उसके अपने सहयोगी ने ही विरोध का स्‍वर बुलंद करते हुए इतना बड़ा कदम उटा लिया है । 

दरअसल शिरोमणि अकाली दल को किसान बिल में किसानों के हक में नजर नहीं आ रहा है और जिस तरह से पंजाब में इस बिल को  लेकर किसान और व्‍यापारियों में असंतोष बढ़ता जा रहा उससे देखते हुए पहले हरसिमरत कौर ने इस्‍तीफा दिया और अब उनकी पार्टी एनडीए से भी अलग होने का फरमान सुना चुकी है। 

हरसिमरत कौर के इस्‍तीफे से पहले शिरोमणि अकाली दल के अध्‍यक्ष ने बिल को किसान विरोधी बताते हए मोदी सरकार से इसे वापस लेने की मांग भी की थी लेकिन उनकी बात को सरकार ने उतनी गंभीरता से नहीं लिया और बिल को वापस लेने पर विचार करना उचित नहीं समझा । यह भी एक कारण है जिसके चलते अकाली दल नेता ने यह बड़ा कदम उठाया है । गौरतलब है कि अकाली दल ने बिल का विरोध करने का फैसला लेते हुए अपने सांसदों को व्हिप जारी करते हुए कहा था कि मानसून सत्र में इसके खिलाफ वोट करना है। 

पंजाब में एग्रीकल्‍चर सेक्‍टर को कमजोर कर देंगे नए किसान बिल 

दरअसल शिरोमणि अकाली दल को लगता है कि पंजाब में एग्रीकल्‍चर सेक्‍टर को मजबूत बनाने के लिए पिछले 50 साल मे पंजाब की राज्‍य सरकार ने जो मेहनत की है उसे वर्तमान नए किसान बिल कमजोर कर देंगे। उन्‍होंने सदन मे चर्चा क दौरान कहा भी था कि पंजाब के किसानों और व्‍यापारियों में असंतोष बढ़ता जा रहा है। 

तो क्‍या किसान बिल पंजाब की राजनीति को बदल देगा ? 

पंजाब में वैसे तो 18 माह बाद राज्‍य के विधानसभा चुनाव होने है लेकिन जिस तरह से पंजाब में किसान बिल का विरोध हुआ है उसे देखते हुए एक बात तो साफ है कि पंजाब के किसानों में मोदी सरकार द्ववारा लाए गए किसान बिल पर केद्र सरकार से किसान बेहद नाराज है । कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने किसान संगठनों द्ववारा किए जा रहे विरोध प्रदर्शन को अपना जिस तरह से पूरा समर्थन दिया है उससे भी अकाली दल पर भारी दबाव बन रहा था । अगर अकाली दल अभी भी मोदी सरकार के साथ बनी रहती तो राज्‍य में किसानों के बीच अकाली दल को लेकर एक गलत छवि जाने का खतरा पैदा हो गया था जिसका नुकसान आने वाले विधानसभा में अकाली दल को भाजपा के साथ रहने पर हो सकता था । 

फिलहाल पंजाब में कांग्रेस सरकार में है और उसे पिछले चुनाव में सबसे अधिक सीटें और 38 फीसदी मत मिलें थे । कांग्रेस के बाद दूसरे नंबर पर आम आदमी पार्टी रही थी और उसे 24.3 फीसदी वोट मिलें थे। अकाली दल पिछले चुनाव में एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लडा था और वह राज्‍य में मात्र 15 सीटें जीतकर तीसरे स्‍थान पर रहा था लेकिन उसके वोट का प्रतिशत आम आदमी पार्टी के आस पास ही था ।  










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