Guest Blog by Sanjiv Singh - 1962 रेजांग ला की लड़ाई : मेजर शैतान सिंह और उनकी टीम का शौर्य ..

1962  रेजांग ला की लड़ाई : मेजर शैतान सिंह और उनकी टीम का शौर्य ..
अभी कुछ दिन पहले यूट्यूब (Youtube)पर चेतन आनंद की फिल्म 'हकीकत' देखी है। फिल्म तो इसके गाने के लिए देखने बैठा था। लेकिन अब मेजर शैतान सिंह का शौर्य आंखों के सामने घूम रहा है । 'हकीकत' 1962 में चीन से हुई जंग और करारी शिकस्त पर बनी फिल्म है। नाम से ही साफ है फिल्म 1962 के जंग (Rezanga la war ) की हकीकत पेश करती है कि किस तरह भारत इस जंग के लिए तैयार नहीं था और कैसे बिना ज्यादा प्रतिरोध के चीन नार्थ ईस्ट और लद्दाख में एक एक चौकियों पर कब्जा करता चला गया । लेकिन कम से कम एक ऐसा मोर्चा था, जहां भारतीय सेना ने अद्भुत शौर्य दिखाया। वो जगह थी रेजांग ला ..भारत चीन विवाद में अभी जिस चुशुल नाम की जगह का बार बार जिक्र आ रहा है, उसके थोड़ी दूर आगे रेजांग ला नाम की जगह थी,  जहां अपनी 13 गोरखा रेजीमेंट के साथ मेजर शैतान सिंह तैनात थे। 

18 नवंबर 1962 : माइनस 24 डिग्री ..रेजांग ला की लड़ाई...

इस जंग के बारे में अंग्रेजी में बहुत कुछ लिखा गया है। लेकिन शेखर गुप्ता ने कुछ रोंगटे खड़े करने वाले डिटेल दिए हैं। 13 गोरखा रेजिमेंट में कुल 120 जवान तैनात थे, जो सभी हरियाणा जिले के रेवाड़ी के अहीर (इस इलाके के लोग खुद को यादव के बजाय अहीर ही लिखते हैं) थे जबकि इस रेजीमेंट के कमांडिंग अफसर मेजर शैतान सिंह जोधपुर के राजपूत। यहां पर चीनी सेना ने 18 नवंबर 1962 को धावा बोला। माइनस 24 डिग्री के आसपास की हड्डी गलाने वाली ठंड मेंं गोरखा रेजीमेंट ने चीनी सैनिकों को इतना नुकसान पहुंचाया था कि सारी दुनिया तो छोड़िए, सेना को ही इस पर यकीन नहीं हो रहा था। 
जंग में गोरखा रेजीमेंट (Kumaon regiments )
 के 120 मेंं 114 जवान शहीद हो गए। पांच जवान घायल हुुए और बंधक बना लिए गए। सारी दुनिया को ये कहानी बताने के लिए रेडियो मैन राम चंदर यादव ही बच गए थे। लेकिन वो मेजर शैतान सिंह के शरीर को सुरक्षित जगह पहुंचाने के बाद ही वहां से हटे थे कि चीनी सैनिक उनके शव को हाथ न लगा सकें। जब उन्होंने सेना के अफसरों को सैकड़ों चीनी सैनिकों का लाश बिछाने की बात कही तो इसपर विश्वास नहीं किया गया। उल्टा जंग से भागने और शोखी बघारने के आरोप मेंं कोर्ट मार्शल की धमकी दी गई। रेडियो मैन राम चंदर यादव को दिल्ली लाया गया। यहां भी उन्होंने डीब्रीफिंग के दौरान वहीं बात कही और ये बताया कि वो मेजर शैतान सिंह के शरीर को सुरक्षित जगह पर छिपाकर आए हैं। 1963 की फरवरी में जब ठंड कम हुई तो रेड क्रास सोसायटी और सेना की टीम उस जगह पर पहुंची। शेखर गुप्ता ने लिखा है कि मेजर शैतान सिंह का पार्थिव शरीर ठीक वहीं मिला, जहां जहां राम चंदर यादव ने दावा किया था।

कमांडिंग ऑफिसर की शहादत के बावजूद एक भी जवान ने न सरेंडर किया न हथियार डाले : 

बहुत सारे लोगों को ये बात नाटकीय लग सकती है। लेकिन ये सच है कि अपने कमांडिंग ऑफिसर की शहादत के बावजूद एक भी जवान ने न सरेंडर किया न हथियार डाले। वे आखिरी जवान, आखिरी गोली और आखिरी सांस तक लड़े। पंजाब के मौजूदा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपनी किताब 'Lest We forget' में लिखा है कि फरवरी में जब सेना की टीम रेजांग ला पहुंची तो सभी शहीद जवान अपने Trench में बंदूक हाथ में लिए जमीन हुई जमीन हुई हालत में मिले थे।

1962 के जंग में भारत यदि लद्दाख को बचाने में कामयाब रहा है तो इसमें रेजांग ला की लड़ाई का बड़ा रोल
इसके बाद मेजर शैतान सिंह को मरणोपरांत परमवीर चक्र और चार जवानों को वीर चक्र दिया गया था। कहा जाता है कि 1962 के जंग में भारत यदि लद्दाख को बचाने में कामयाब रहा है तो इसमें रेजांग ला की लड़ाई का बड़ा रोल है। इस रेजीमेेंट ने चीनी फौज को इतना नुकसान पहुंचाया था कि आगे बढ़ने की उनकी हिम्मत नहीं हुई और तब तक पीछे की चौकियों को संभलने का मौका मिल गया था ।
 फिल्म 'हकीकत' ( film HaqeeqaT) में इतने विस्तार से रेजांग ला की लड़ाई को नहीं दिखाया गया है। फिल्म रोमांटिक पुट लिए हुए है। फिल्म के आखिर मेंं शैतान सिंह का किरदार निभा रहे धर्मेंद्र अपने पोस्ट की रक्षा करते हुए शहीद होते हैं। चारों तरफ शव बिखरे पड़े हैं और ऐसे गमगीन माहौल में रफी की आवाज में गाना आता है 'कर चले हम फिदा जाने तन साथियों, अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों।' पर्दे पर इस गाने के सामने दर्शक रोए।  बाद में जब लता मंगेशकर ने 'ऐ मेरे वतन के लोगों' गाया तो पूरा देश रोया।
https://youtu.be/n6yTCblgAQQ 
 जावेद अख्तर ने एक इंटरव्यू में कहा था कि आज से करीब 50 साल पहले इस तरह का प्रयोग करने के लिए बहुत हिम्मत चाहिए कि जब सबकुछ खत्म हो जाए तो गाना शुरू हो। लेकिन चेतन आनंद ने ये खतरा उठाया था।

अजीब संयोग है कि सारागढ़ी में उसी तरह की बहादुरी पर बनी फिल्म 'केसरी' के गाने 'तेरी मिट्टी' को हाल में सबसे लास्ट में ही इस्तेमाल किया गया है । जंग की तुलना फिल्मों से नहीं की जा सकती । लेकिन जो जंग के मैदान में होता है उसे काफी हद तक दुनिया भर में पर्दे पर उतारा गया है। चीन के साथ छिड़े तनाव के बीच फिल्म के बहाने ही सही, मेजर शैतान सिंह और उनकी टीम के शौर्य को याद करना बुरा ख्याल भी नहीं है...

टिप्पणियाँ