दर्द में रहकर भी कैसे जीते हैं जिंदगी यही सिखाती है सुशांत सिंह राजपूत की आखिरी फिल्म "दिल बेचारा"

Guest Blog Post By Nidhi Mudgill 

भले ही सुशांत आज हमारे बीच इस दुनिया में ना रहे हो, लेकिन उनकी फिल्म "दिल बेचारा" (Dil Bechara) ने यही संदेश दिया है कि ज़िंदगी को खुलकर जीना चाहिए। चाहे कितनी भी तकलीफ क्यों ना हो हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए। 

सुशांत ने बखूबी अपने नटखट किरदार को इस फिल्म में निभाया और अपनी पहली फिल्म के साथ को-एक्टर संजना ने भी अपनी एक्टिंग से लोगों को फिल्म के अंत तक बांधे रखा। दोनों की केमिस्ट्री फिल्म में जोरदार रही। सुशांत और संजना को देखकर यकीनन सबको काफी अच्छा लगा होगा, बहुत.ही खूबसूरती से दोनों ने किरदार निभाया और स्क्रीन पर क्यूट मोमेंट शेयर किए।

सुशांत ने इस फिल्म में मैनी नाम के एक दिव्यांग लड़के का किरदार निभाया है, जिसे कैंसर था लेकिन फिर भी वो सभी  दिक्कतों से लड़कर जिंदगी को खुल के जी रहा था ।

कॉलेज में मैनी ( सुशांत ) की मुलाकात एक किजी नाम की लड़की से होती है, जो ऑक्सीजन का सिलेंडर हमेशा अपने साथ लिए घूमती है, फिल्म में दोनों जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे होते हैं, पूरी फिल्म में मौत को जिंदगी से जोड़कर दिखाया गया है। 

'एक था राजा एक थी रानी दोनों मर गए खत्म कहानी' ये है फिल्म 'दिल बेचारा' की कहानी.
इसी तरह के लुभावने डायलॉग फिल्म में सुनने को मिलेंगे साथ ही फिल्म के गानों को खास पसंद किया गया, बड़े पर्दे पर ना सही लेकिन Hotstar डिजिटल की छोटी स्क्रीन पर सुशांत को देखकर फैंस को खुशी मिली होगी। फैंस के लिए ये कोई साधारण फिल्म नहीं थी, ये कहा जा सकता है की एक बार तो जरूर सभी ने सुशांत को मिस किया होगा और सोचा होगा कि काश इतना प्यार देखने के लिए सुशांत हमारे बीच होते ।

टिप्पणियाँ

Abhi ने कहा…
Wonderful writing.
Keep it up.
♥️