Guest Blog by Nidhi mudgill .. ना जाने कितनी कहानियां होती है एक पत्रकार के अंदर..

"World Press Freedom Day 2020" special Guest Blog post from Nidhi Mudgill...

- अच्छा- अच्छा जर्नलिस्ट हो ? कौन से चैनल पर आती हो ? कभी देखा नहीं टीवी पर ? कितने बजे टीवी पर दिखती हो ? अच्छा अगली बार टीवी पर आओ तो फोन करके बताना ! ☺️ 🙆
ये सभी सवाल पता नहीं कितनी बार पूछे जाते है हर उस जर्नलिस्ट से जो चैनल में काम करते हैं...  

टीवी स्क्रीन के पीछे ना जाने कितने लोग काम कर रहे होते हैं ?  उनके पीछे ना जाने कितने घंटों की मेहनत लगी होती है ? ये सिर्फ कुछ लोग ही जानते हैं....  चंद 20 सैकेंड में कैसे किसी सड़क हादसे की पूरी जानकारी ब्रेकिंग न्यूज में लिखी जाती हैं ये सिर्फ टिकर सिस्टम वाले को ही पता होता है, क्या, कैसे , कब , कहां, क्यों ? 

लगातार  8 घंटे बिना सीट से उठे कैसे काम होता है, चुनाव के दौरान हर 30 सैकेंड में ब्रेकिंग और वोटिंग प्रतिशत लिखना ... 😊 यहां तक वॉशरूम जाने के लिए भी उठो तो किसी को बताकर जाओ कि - देखना कोई ब्रेकिंग न्यूज आए तो .,  मैं सिर्फ 2 मिनट में आई,,, .... 😅  टिकर पर मैंने अभी तक सबसे ज्यादा काम किया है इसलिए भावनात्मक रूप से जुड़ी हुई हूं , पुलवामा अटैक हो या फिर लुधियाना ट्रेन हादसा शहीद हुए जवानों और मरे हुए लोगों की संख्या बढ़ाना कई बार बोहत ही मुश्किल हो जाता है, ना जाने कितनी कहानियां होती है एक पत्रकार के अंदर, आज सच कहूं तो  एक लड़की होने के नाते मेरे लिए मुश्किल है पत्रकार बनना, क्योंकि सबके सामने सही का बखान करने वाली पत्रकार कई बार अपने ही हक की लड़ाई नहीं लड़ पाती...
समाज का भेदभाव और सच के लिए हमेशा लड़ना आपको लोगों के सामने पागल साबित कर देता है, ना जाने कितनी बाते अंदर ही अंदर घूमती रहती है, और मैं कुछ नहीं कर पाती, लडकियों के हित के बारे में बात करती हूं तो फेमिनिस्ट बोल दी जाती हूं, कानून बताती हूं तो रीतिरिवाज़ों में बांध दी जाती हूं, तेरे हिसाब से समाज नहीं चलेगा ये कहकर हमेशा मेरा हौसला तोड़ दिया जाता है, टीवी तक तो ठीक है लेकिन समाज में बाहर की दुनिया में पत्रकार बनना बोह्त मुश्किल है, ये है एक महिला पत्रकार की कहानी... 

😊 लेकिन कहीं ना कहीं अपने घर को कुछ हद तक बदल सकती हूं, और इंसाफ ना भी मिले लेकिन गलत को गलत बताने की हिम्मत रखती हूं , भारत में प्रेस की स्वतंत्रता से जोड़कर अपनी कहानी लिखने की कोशिश की है, क्योंकि सच्चाई तो यही है भारत में आजतक भी पत्रकार स्वतंत्र नहीं है, वो सिर्फ और सिर्फ प्रोटोकॉल फॉलो करते है, चैनल के खुद के अजेंडा होते हैं, उसी हिसाब से खबरों को मोड़-तरोड़ दिखाया जाता है,  मुझे पता है कुछ लोग मेरे इस पोस्ट से ज्यादा खुश नहीं होंगे हो सकता है मुझे पोस्ट हटाने के लिए भी काहा जाए.... लेकिन फिलहाल मैं स्वतन्त्र पत्रकार हूं 😅,  "Cheers for World Press Freedom Day 2020" 🥂🍻

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