आईपीएल दौलत के नशे का कॉकटेल बना
आर्इपीएल, एक आइडिया जिसने खेल का अंदाज बदला , उसकी स्पीड और चमक में अगर कुछ था तो पैसा। इस खेल में सब कुछ था बालीवुड, बिजनेसमैन और एक ऐेसी भीड जिसको लुभाने के लिए रनों की बरसात पर झूमती चीयर लीडर्स दर्शक मुग्ध, क्रिकेट प्रेमी हैरान, क्या आइडिया है ?सब कुछ बदल दिया और इधर एक इंसान मुस्करा रहा था ए थे श्रीमान ललित मोदी जिसने खेल के नियम और उसकी पाठशाला ही बदल दी थी ।
क्रिकेट के रोमांच, बिजनेस
के दाव और बॉलीवुड के ग्लैमर के तड़के से आईपीएल का जो कॉकटेल बना वह वर्तमान दौर
में भारत में सबसे नशीला नशा साबित हुआ है। गुमनामी के अंधेरों से अचानक लाइम लाइट
में आए कुछ युवा खिलाडि़़यों के लिए यहां पैसा कमाने और ख्यात होने का भरपूर अवसर
मिला और कुछ पैसों के लोभ में बुकी के सबसे आसान शिकार भी वो ही रहे। स्पॉट फिक्सिंग
तो आईपीएल की जड़ में ही है इस प्रारूप को जिस तरह से तैयार किया गया है उसमें इस तरह
की मैच फिक्सिंग की संभावना कोई बड़ी बात नहीं है और ना यह पहली बार हो रहा है और ना
ही अंतिम बार । इस खेल की जड़ में है अथाह पैसा और छोटे महानगरों से निकले खिलाड़ी
कब भटकाव की राह पर निकल जाएं इस बात की गारंटी लेना ही आज के दौर में नामुकिन सा जान
पड़ता है, अगर बीसीसीआई आईपीएल में बड़े पैमाने पर बदलाव नहीं करती है तो इस तरह के
मामलों के लिए हमें आगे भी तैयार रहना होगा ।
क्रिकेट जो कभी जेंटलमैन का गेम था अब वहां खिलाडी का एक रेट था। प्रतिभा अब खेल के मैदान से अधिक खिलाडी पर लगने वाली बोली से तय हो रही थी ।फटाफट के इस दौर पर द वाल के नाम से मशहूर खिलाडी राहुल द्रविड ने इसे बिकनी क्रिकेट कहा था लेकिन माल्या, अंबानी और अन्य लोगों के लिए अगर यह कुछ था तो बस पैसा बनाने की एक ऐसी मशीन जो उनके असली रूतबे को संसार के सामने ला सके । लेकिन ऐसा बहुत कुछ था जो ढका छुपा था। पेज 3 की पार्टी जिसमें क्रिकेट,व्यापार, और बालीवुड के ग्लैमर जगत के सितारों का ऐसा आभामंडल,जहां डांस और जीत के खुमार में डूबे लोगों की मस्तियां भी थी, और ऐसा बहुत कुछ जिस पर लिखा नहीं जा सकता और जहां तक नारदमुनि के दूत जर्नलिस्ट नामक प्राणी अभी पहुंच ही नहीं पाया था ।
जनता सितारों को देख कर खुश,क्रिकेट प्रेमी खेल के नए अवतार को देख कर हैरान परेशान कमाल है इतना तेज भी हो सकता हैक्रिकेट? तो वही मीडिया की तीसरी आंख ने बिकते और स्पाट फिक्स होते हुए मैचों को दिखाया तो पूरी तस्वीर ही बदल गर्इ और खिलाडी ही नहीं पूरे खेल और खेल के आकाओं पर शक का काला घेरा प्रश्नवाचक चिन्ह बनकर सामने खड़ा था। हर कोर्इ खेल रहा था कोर्इ खेल की पिच पर, कोर्इ व्यापार की पिच पर और कुछ ऐसे भी थे जो खेल में भी राजनीति की पिच तैयार कर चुके थे, सबकुछ मजेदार चल रहा था ।
आर्इपीएल रन मशीन ही नहीं पैसा बनाने वाली एक ऐसी धनलक्ष्मी के रूप् में सामने आया था जिसके दीवानों की कमी ना थी और ऐसे ही दीवानों में से एक नाम सामने आया जिसे संसार बुकी के नाम से जानता था, और जिसने मैदान में न होकर भी खेल और खेल के नियमों का फायदा उठाया। खिलाडी उसके लिए एक प्यादा भर था , क्योंकि वह उसकी असली कीमत तय करता था कौन? कैसे ?बिकता है उसे सब पता था! और हो भी क्यों ना जब बिकने के लिए खिलाडियों की एक पूरी फौज तैयार हो तो क्या हिन्दुस्तान क्या पाकिस्तान, दुबर्इ तक स्पाट फिक्सिग का ऐसा जाल फैला जिसमें क्रिकेट की हर गेंद और बल्ले से निकलते रन बेमानी लगने लगे। दर्शक हैरान था दो माह तक जो उसने देखा उस पर एतबार करने पर डर लगने लगा था।
मनोरंजन ठग के अवतार में बदल गया था, क्रिकेट का लेखक हैरान होकर हेडिंग बना रहा था गजब 7 गेंद 6 छक्के यह कैसी तूफानी पारी? लेकिन स्पाट फिक्सिंक में 40 खिलाडियों के शामिल होने के एक समाचार ने सबकुछ साफ कर दिया ? बदरंग हुआ तो क्रिकेट का खेल और खिलाड़ी , पैसे की खनक से खिलाडी बौरा गए और बुकी ने इसका फायदा उठाया!
इसी बीच जब आर्इपीएल से सब पैसा बना रहे थे तो अंडरवर्ल्ड संसार इस खेल से कैसे दूर रहता ? परदे के पीछे से पूरी धमक से उसने भी खेल खेला। अब सच सामने आया और स्पाट फिक्सिंग की तस्वीर से उसका चेहरा भी नजर आने लगा है, खोज जारी है, कब ? कौन? से सितारे की तस्वीर बदरंग हो जाए कहना बताना संभव नहीं ! आर्इपीएल के इस खेल में दो खिलाडियों के तमाचे से आगे का संसार कहीं हैरान और परेशान करने वाला है ।
आर्इपीएल कोर्इ भी टीम जीते लेकिन लगता है क्रिकेट हार गया, ना खेल बचा ना खिलाडी, देवता तो यहां कोर्इ था नहीं। खटाक की आवाज से शायरी पड़ता कमेंटेटर भी स्तब्ध था हर चेहरे पर शक और चिंता की लकीरों के बीच कुछ ऐसे भी थे जिनके लिए यह न्यूज एक बेहतरीन टीआरपी का जरिया है चाहे वेब का संसार हो या फिर टीवी का सच बताने की होड में सबसे पहले की तेज स्पीड में डराने और हैरान करने वाली खबरों का दौर जारी है, आर्इपीएल की स्पॉट फिक्सिंग में कालिख किस किस के चेहरे पर लगेगी कहना मुशिकल ?
लाख टके का सवाल एक ऐसे खिलाडी के खेल जीवन के लिए भी है जिसमें गजब का जोश था, जो सिक्स लगाकर पिच पर डांस करने में भी गुरेज नहीं करता था ! क्योंकि वो देश के लिए खेलता था, उसमें देश के युवा का जोश दिखता था लेकिन आर्इपीएल में श्रीसंत का स्पॉट फिक्सिंग में नाम आना हैरान ही नहीं परेशान भी करता है। और कभी कभी लगता है काश ये सच ना हो... लेकिन सच कड़वा होता है और अगर इस बार भी ऐसा ही है तो क्रिकेट को बचाने के लिए कोर्इ शिव है क्या ? जो इस जहर को पचा जाए ताकि क्रिकेअ बच सके , खेल बच सके और रह जाए कुछ ऐसी तस्वीरें जिसे देख दर्शक मुस्करा और तालियां बजा सके क्योंकि हम अब भी राहुल शरद द्रविड और क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर जैसे खिलाडियों के खेल पर मंत्रमुग्ध होना चाहते है।
पर लाख टके का सवाल क्या ऐसा सचमुच हो पाएगा ! क्या जो कुछ टूट गया है वह वापस जुड़ पाएगा? खेल और खेल के रोमांच में क्या सचमुप सब पारदर्शी हो पाएगा ? कुछ सवाल ऐसे है जिनका उत्तर आने वाला समय ही दे सकता है, तब तक इंतजार करें धैय रखें, क्योंकि क्रिकेअ बेहद खतरनाक और हैरान कर देने वाले समय में चल रहा है और शायद खेल प्रेमी उस समय रेखा पर बस सबकुछ होता हुआ देखने के लिए विवश भर है...लेकिन कब तक ?
RAJESH YADAV
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