रंजो -गम–ए-जिंदगी

रंजो -गमए-जिंदगी ..


तुम्‍हारें शहर के परिंदो से अब अपना भी दोस्‍ताना है
सुना है उड़ने का हुनर ना हो तो ये शहर जीने नहीं देता
.....
भीड़ से भरी सड़कों पर गुजरता हूं,...
तन्‍हाई लिए...
खुद से लड़तेे जी रहा हूं ...
ऐसा लगता है बस खुद के लिए जी रहा हूं

तुम्‍हें रंज हो तो हो, मेरे अकेलेपन पर
मैं साद हूं बस इतनी सी बता पर
किसी के दर्द में जीने का हुनर तो सीख लिया

रंजो-गम-ए-जिंदगी में यूं तो शुकून है बहुत
पर आज भी
सौ जवाब खोजता है तुम्‍हारा एक सवाल

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