शहरनामा : जॉब, दोस्ती और मैं
8 साल पहले मेरा दोस्त और मैं
बस यू हीं देखे जरा इसे भी, दो कदम की शुरुआत है!
7 साल पहले मेरा कलीग और मैं
ऑफिस शानदार है, बस सैलरी शानदार हो जाए तो काम करने का मजा बढ़ जाएगा।
हां यार मुंबई शहर के हिसाब से, देखो बॉस को वादा याद रहता है कि नहीं ।
6 साल पहले
मुंबई में मेरे दूसरे बॉस के अंतिम दिन पर
सर आप तो जा रहे हैं हम लोगों को क्या करना चाहिए !
हम सबको अपनी लड़ाई खुद लड़नी पड़ती है, खुद पर यकीन करो, आगे बढ़ों
5 साल पहले : मुंबई टू भोपाल मेरे दोस्त कलिग और मैं
सर मैं तो मुंबई नहीं छोड़ सकता, इस शहर से मोहब्बत हो गई है मुंबई तो मुझे भी पसंद है, पर भोपाल जा सकता हूं, मुंबई फिर कभी
और संंजीत ने कहा दिल्ली को छोड़ चुका हूं मुंबई को अलविदा नहीं कहना मुझे
और मुंबई छूटने के तीसरे दिन मुंबई की एक संपादक का फोन
राजेश आप अगर हमारी कंपनी के साथ जुड़ना चाहो तो हम आपकी सीटीसी पर बात कर लें
धन्यवाद मैडम ! मैं मुंबई से भोपाल आ चुका हूं, आपके साथ भविष्य में काम करना पसंद करुंगा ।
धन्यवाद मैडम ! मैं मुंबई से भोपाल आ चुका हूं, आपके साथ भविष्य में काम करना पसंद करुंगा ।
आगे की कहानी फिर कभी ..
(मेरे दोस्तों में राहुल शर्मा जो कि भोपाल में प्रिंट मीडिया में पत्रकार है, प्रहलाद जो मेरा दोस्त और कलिग है और आजकल मुंबई की एक मीडिया कपंनी से अवकाश लेकर एमआईटी नोएडा से एमबीए कर रहा है, संजीत कुमार जो मेरा रूम मेट और दोस्त जो आजकल भास्कर और जोश 18 के बाद दूरदर्शन से जुड़ा हुआ है और मुंबई में अपने परिवार के साथ रह रहा है। )
Rajesh Yadav (hyper local head in dainikbhaskar.com ) आजकल नोएडा में कार्यरत
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