Google survey: : सर्च में मोदी निकले राहुल से आगे , पर 42 फीसदी अभी दुविधा में



 Google survey : क्या होगा चुनावी गणित ? कौन है खेल का असली खिलाड़ी 

राजेश यादव 
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सोशल मीडिया पर मोदी नाम की जो आंधी चल रही है क्या वह वोट में बदलेगी ? यह एक ऐसा प्रश्न है जिसका उत्तर कम से कम अभी देना थोड़ी जल्दबाजी होगी क्योंकि गूगल के ताजा सर्वे में 42 फीसदी ऐसे मतदाता है जो अभी किधर जाएगें ? किसे वोट देंगे वह तय नहीं कर पाएं हैं ।

सर्च में मोदी निकले राहुल से आगे 

इस सर्वे में एक बात जरूर भाजपा और मोदी के लिए राहत वाली है और वह गूगल सर्च पर पिछले 6 माह में  देश के 10 प्रमुख नेताओं में सबसे अधिक मोदी को सर्च किया जाना रहा है । लेकिन कांग्रेस इस बात से खुश हो सकती है कि अगर मोदी के बाद सबसे अधिक किसी नाम को सर्च किया गया है तो वह राहुल गांधी है । अब गूगल के इस सर्वे और जनता के सर्च को आधार बनाया जाय तो पिछले 6 माह के राजनीतिक गतिविधियों और जनता की पसंद के आधार पर मोदी बनाम राहुल की जंग बहत तीखी होने जा रही है और किसका पलड़ा भारी होगा यह आगे आने वाले 6 माह में तय हो जाएगा ।

राहुल, सोनिया और मनमोहन का कॉकटेल मोदी पर पड़ेगा भारी 

मोदी सर्च में पहली पसंद है यह भाजपा के लिए राहत वाली बात है लेकिन इसी सर्च पसंद को अगर आधार बनाया जाय तो दूसरे, तीसरे और चौथे स्थान पर राहुल, सोनिया और मनमोहन के नाम का होना भाजपा के लिए एक खतरे की घंटी से कम नहीं है । इसका मतलब यह हुआ कि पहली नजर में मोदी अकेले भाजपा के खेवनहार नजर आते हैं लेकिन राहुल, सोनिया और मनमोहन एक साथ जनता की पसंद पर ऐसे कॉकटेल बना रहे हैं जिसका नशा जनता पर सिर चढ़के बोल सकता है और मोदी नाम की आंधी से कांग्रेस पार पा सकती है ।

सुषमा भी जनता की पसंद 

हां इस जंग में सुषमा स्वराज 9 नंबर पर आकर मोदी की मदद करती दिख रही है और इस बात में कोई संदेह नहीं कि वे मोदी के बाद भाजपा में इस वक्त  जनता की दूसरी सबसे बेहतर पसंद है अब इस तथ्ये को भाजपा के रणनीतिकार कैसे उपयोग में लाते हैं यह एक देखने वाली बात होगी । 10 वें नबर पर दिग्गी  राजा का होना कम रोमांचक नहीं है ।

केजरीवाल, जया, अखिलेश और नीतिश लगाएगें असली तड़का 

लेकिन बात अगर यही खत्म मान ली जाए तो मामला सीधी टक्कर का हो जाएगा जबकि ऐसा है नहीं क्योंकि गूगल सर्च पर जनता की सर्च की पसंद देखें तो नंबर पांच पर केजरीवाल, 6 पर जयललिता, 7 पर उप्र के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके  बाद नीतिश का होना इस खेल में ऐसा तड़का है जो यह बताता है कि तीसरा मोर्चा भी बेहद शक्तिशाली हो सकता है। आने वाले चुनाव में राजनीति के इस शतरंज पर किसका मोहरा कितना हिट रहेगा उसकी एक झलक भर है ।

दल के रूप में भाजपा पहली पंसद, कांग्रेस नंबर टू बनीं 

नेताओं से आगे बढ़कर गूगल सर्च पर अगर हम दलों के आधार पर देखें तो सर्च के मामले में भाजपा अन्य दलों से आगे है और फिलहाल पिछले 6 माह की रिपोर्ट के आधार पर पहली पसंद बनती नजर आ रही है । उसके बाद कांग्रेस, आम आदमी पार्टी , बहुजन समाज पार्टी और अन्य  दलों के बारे में जनता ने गूगल सर्च पर ज्यादा रूची दिखाई है ।

पीएम उम्मीदवार नहीं,लोकल नेता दमदार देखती हैं जनता

लेकिन गगूल ने जो सर्वे किया है उसमें सबसे रोचक बात लोगों का यह बयान रहा है जिसमें मात्र 11 फीसदी ऐसे वोटर्स है किसी दल से कौन प्रधानमंत्री हो सकता है इसे देखकर वोट करते हैं, शेष ने लोकल उम्‍मीदवार पर ज्यादा सूचना को महत्व दिया है और इस मामले में शहरी मतदाता का रूझान कुछ ज्यादा ही दिखा है । गूगल का यह सर्वे इस लिए अधिक महत्पूर्ण हो जाता है क्योंकि कुल 7000 लोग इस सर्वे में शामिल है और 108 संसदीय इलाकों पर यह सर्वे किया गया है जो 543 सीटों वालीं संसद का कुल 20 फीसदी हिस्सा है ।

क्या होगा चुनावी गणित ? कौन है खेल का असली खिलाड़ी 

42 फीसदी ऐसे वोटर्स जो अभी दुविधा की स्थिति में हैं वह आने वाले चुनावों में बहुत महत्पूर्ण रोल अदा करेंगे और वोट के गणित पर किसका पलड़ा भारी रहेगा इसे तय करेंगे ।

हमारा आकलन : तो क्या  दिल्ली में आप देगी करारा झटका ?

गूगल पर आप पार्टी के नेता अरंविद केजरीवाल का सर्च में नंबर पांच पर आना भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए एक चेतावनी से कम नहीं माना जा सकता है।  आने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव में केजरीवाल की आप पार्टी बेहतर कर सकती है । जरा इस बात पर ध्यान दे केजरीवाल आज की तारीख में लोकप्रियता के मामले में गूगल सर्च पर भले ही मोदी और राहुल से पीछे नजर आ रहे हो लेकिन वह तीन प्रदेश के मुख्यमंत्रियों से इस मामलें में आगे हैं ।

अगर हम मान ले कि गूगल का यह सर्वे शहरी मतदाताओं के रूझान को बताने वाला है तब तो यह और भी रोचक हो जाता है और क्योंकि दिल्ली का शहरी मतदाता इंटरनेट  का अच्छा उपभोक्ता भी रहा है। इंटरनेट पर जनता की सोच का मीटर ऐसा माना जाता है कि तीन माह में कुछ बदला हुआ नजर आ सकता है ऐसे में जब दिल्‍ली विधानसभा चुनाव में दो माह से कम समय का होना और 42 फीसदी मतदाताओं का दुविधा में होना इस चुनावी बिसात को रोमांचक बना देता है ।

मोदी , राहुल और शीला दीक्षित की छवि दिल्ली विधानसभा चुनाव में महत्वापूर्ण रोल अदा करेगी लेकिन सबसे खास होगा किस दल का उम्मीदवार सबसे बेहतर और जनता की पसंद पर साफ छवि वाला होता है ।

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