A Mother’s Day letter मां के नाम बेटी का खत ......


जिंदगी की किताब  (लास्टपेज3) पर एक विशेष गेस्‍ट पोस्‍ट में लवलीन धालीवाल द्वारा मां को लिखा गया एक खत । 



प्यारी मां, 

मदर्स डे की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। थैक्यू... हमेशा मेरे साथ होने के लिए और कभी न बदलने के लिए। तुमसे दूर हुए बहुत साल हो गए। तुम तो शादी के बाद अपनी मां को छोड़कर आई होगी, पर मुझे तो पढ़ाई के लिए बहुत छोटी उम्र में ही तुमसे दूर जाना पड़ा। पर मां, मैं तुमसे दूर होकर भी कभी तुमसे अलग नहीं हुई। इतने बरस बाद भी मेरा हर पल कहीं न कहीं तुमसे ही बंधा होता है। कभी सोते, कभी जागते... जब किसी कपड़े की तुरपाई उधड़ जाए या रोटी पकाते हुए हाथ जल जाए, तो   तु म्हीं याद आती हो। मेरी टेड़ी-मेढ़ी रोटियों को तुम कितने शौक से खाती थी ताकि मैं प्रोत्साहित हो सकूं। 

कई बार जब शीशे में अपने रूखे-सूखे बालों को देखती हूं, तो सोचती हूं बचपन में तुम किस तरह इन्हें संभाल कर रखती थी। तब मैं बहुत छोटी थी। आज बड़ी हो गई हूं। तुम फिर भी मेरे साथ हो। मेरे अनुभवों को सुनते हुए, जब दिल दुखी हो तो दूर बैठे ही उसे समझते हुए... तुम सदा मेरे साथ रहोगी। मैं बहुत खुश हूं कि कुछ चीजें कभी नहीं बदलती। मा.. पिछली बार मायके से तुम्‍हारे हाथ का कढ़ी जो शॉल और साड़ी ले आई थी। बीती सर्द रातों में वो शॉल तु हारी बहुत गर्माहट देता रहा और साड़ी बारिश की पहली बूंदों की तरह ठंडक दे जाती है। तुम दूर हो तो क्या हुआ, ऐसे ही तुम्‍हारे कपड़ों में तुमको जी लेती हूं।

तुम्‍ हें याद है, पिछले साल मदर्स डे पर जब तुम्‍हें फोन किया तो कितनी रुआंसी हो गई थी मैं। दरअसल, मां बनने के बाद ही तुम्‍हारी कई बातों का मतलब समझ में आया था। कुछ दिन पहले थी तो मां बनी थी मैं। जान गई थी कि कैसे तू मेरी बातों को बिना कहे ही समझ जाती थी। तेरी छोटी-छोटी चीजों को लेकर चिंता, जिस पर हम कई बार खींज भी जाते थे, अब वो चिंता भी समझ में आने लगी थी। कभी दो कौर खाकर ही हमारा उठ जाना तुम्हें इतना परेशान क्यों कर जाता था?  तुम्‍हें और करीब से जाना जब खुद मां बन पाई। 

और भी बहुत कुछ कहना चाहती हूं तुमसे पर शब्द कहां से लाऊं। शब्दों में कहां बांध सकते हैं हम अपने इस रिश्ते को। खुद मां बन गई हूं पर आज भी तेरी ममता की गर्मी कई बार मुझे रुलाती है। जब भी अपने बच्चों के मुंह से मां शब्द सुनती हूं तो याद तुम्‍हारी आती है। इनकी तोतली बातों में अक्सर अपने बचपन को चुनती हूं। ये दोनों बहुत मासूम है, बस थोड़े-से जिद्दी हैं। दोनों जुड़वां बेटे हैं। पर कई बार सोचती हूं कि एक बेटी होती तो शायद खुदको कभी जी पाती। वो नानी कहती थी ना, बेटियों की मां कभी मरती नहीं। हमेशा जिंदा रहती है अपनी बेटियों में। पर मां मैं बहुत-बहुत खुश हूं कि कुछ चीजें कभी नहीं बदलती। जैसे कि तुम... जो हमेशा मेरे साथ रहोगी।

तुम्‍हारी बेटी 
लवू

फोटो:लवलीन धालीवाल अपने दोनों बच्‍चों के साथ

टिप्पणियाँ

lovleen ने कहा…
thanx ...sir maa ki mithi yaadoo ke sath phir ek baar jodane ke liye