दिल जीत ले गया रोबोट

फिल्म : रोबोट
निर्माता : कलानिधि मारन
निर्देशक : एस . शंकर
कलाकार : रजनीकांत, ऐश्वर्या रॉय, डैनी डेन्जोंगपा
संगीत : ए आर रहमान
संवाद : स्वानंद किरकरे
बैनर : सन पिक्चर्स
रेटिंग : ****

फिल्म निर्देशक एस शंकर की साइंस फिक्शन फिल्म रोबोट बॉक्स ऑफिस पर धूम मचाने की क्षमता रखती है और इसका जादू हर उम्र के दर्शक को लुभाने वाला है। दक्षिण भारत के सुपरस्टॉर रजनीकांत और बॉलीवुड अदाकार ऐश्वर्या राय के अभिनय से सजी इस फिल्म की पटकथा में मनोरंजन, रोमांच के साथ भावनात्मक प्यार का संगम नजर आता है। फिल्म की पटकथा, सवांद और बेहतरीन सिनेमैटोग्राफी कमाल की है जो इसे बेहतरीन सिनेमा की श्रेणी में खड़ी करती है।

यह फिल्म हॉलीवुड में बनने वाली फिल्मों को टक्कर देने का दम रखती है और इसे देखने के बाद ऐसा लगता है कि यह घरेलु मार्केट और ओवरसीज मार्केट दोनों ही जगहों पर सफल रहेगी। अब तक की सबसे महंगी फिल्म बताई जा रही यह फिल्म बॉक्स ऑफिस के कई रिकार्ड तोड़ दे तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी। जो काम एक समय थ्री इडियट ने किया था वैसा ही जादू दबंग ने दिखाया और अब रोबोट उससे भी बड़ा कमाल कर सकती है। सबसे खास बात जो दिखाई देती है वह तीनों की पटकथा और प्रस्तुतीकरण में अंतर का होना है।


फिल्म में वैज्ञानिक वशीकरण (रजनीकात) कड़ी मेहनत से एक ऐसा रोबोट तैयार करते है जो इंसान से १क्क् गुना ताकतवर होता है,वह इसे भारतीय सेना के लिए तैयार करते है। रोबोट को वह अपने जैसा लुक देते है जिसे उनकी प्रेमिका सना (ऐश्वर्या रॉय) बेहद पसंद करती है। रोबोट को लोग प्यार से चिट्टी पुकारते है और उसकी प्रोग्रामिंग कुछ इस तरह की है कि उसे जो कुछ भी कहा जाता है वह उसे पूरा कर देता है लेकिन उसमें इंसानों की तरह भावनात्मक सोच का अभाव रहता है। इसी का फायदा उठाकर प्रोफेसर बोहरा (डैनी डेन्जोंगपा ) उसे सेना में शामिल करने से इंकार कर देते है हालांकि वह ऐसा अपने फायदे के लिए करते है। इसके बाद प्रोफेसर वाशी रोबोट में कुछ इस तरह के बदलाव करते हैं कि वह इंसानों की तरह भावनात्मक आवेग को समझने लगता है। इसका परिणाम यह होता है कि वह प्रोफेसर वाशी की प्रेमिका सना को ही प्यार करने लगता है। इस बात को लेकर वाशी और रोबोट में विरोध हो जाता है और इसका फायदा प्रोफेसर बोहरा उठाते है। वह रोबोट की प्रोग्रामिंग में बदलाव कर उसमें बुरी शक्तियों का समावेश कर देते है परिणाम यह होता है कि रोबोट अपनी सेना बना लेता है। इसके बाद वाशी और रोबोट के बीच रोचक मुकाबला होता है और प्रोफेसर उसकी बुरी शक्तियों का अंत करने में सफल होते है। अंत में रोबोट अपनी असली पहचान को समझ लेता है और जिस भावनात्म संदेश के साथ फिल्म में अपना अंत करता है वह देखने लायक है।


फिल्म में स्पेशल इफेक्ट का फिल्माकंन बेहतरीन अंदाज में किया गया है जो बेहद प्रभावी बन पड़ा है। रजनीकांत का अभिनय शानदार है और फिल्म में प्रोफेसर, और रोबोट दोनों ही किरदारों में उनके अभिनय की छाप देखने को मिलती है। ऐश्वर्या राय मेडिकल छात्रा के रोल मेंखूबसूरत दिखी हैं और उनका रोल ठीक ठाक है , खासकर उन्होंने फिल्म में बेहतरीन डांस किया है।

फिल्म का संगीत बेहतरीन है लेकिन गानों की जिस मधुरता का इंतजार बॉलीवुड के दर्शको को रहता है उस मामलें में यह फिल्म थोड़ी कमजोर नजर आती है। डैनी का रोल संक्षिप्त लेकिन दमदार है। फिल्म में स्वानंद किरकरे ने संवाद लेखन में उम्दा योगदान दिया है। इस फिल्म में साइंस फिक्शन के रोमांच के साथ एक रोबोट का भावनात्म प्यार में डूबना सबसे खास बात है और इसे जितने खूबसूरत अंदाज में रजनीकांत ने परदे पर साकार किया है वह लाजवाब है।


यह फिल्म हर दर्शक वर्ग को पसंद आएगी और इसे परिवार के साथ देखा जा सकता है। बॉलीवुड की सबसे महंगी फिल्म कहीं जा रही रोबोट देखना एक रोचक अनुभव है और इसे जरूर देखा जाना चाहिए। निर्देशक एस शंकर ने रोबोट के द्वारा एक ऐसी फिल्म दर्शकों को दी है जो हॉलीवुड की फिल्मों की तरह ही बेहतरीन है और तकनीकी मामलें में भी शानदार है।

राजेश यादव

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