फिल्म समीक्षा : रॉकेट सिंह सेल्समेन ऑफ द ईयर


निर्देशक : शिमित अमीन
प्रोडच्यूसर : आदित्य चोपड़ा
संगीत : सलीम- सुलेमान
कलाकार : रणबीर कपूर, शेजान पद्मसी, गौहर खान, प्रेम चोपड़ा
गीत , संवाद पटकथा : जयदीप साहनी
बैनर : यशराज


एक सेल्समेन की जिंदगी पर आधारित रॉकेट सिंह सेल्समेन ऑफ द ईयर बहुत खूबसूरत फिल्म है। फिल्म का लेखन कमाल का है और इसके पात्र दर्शकों से एक रिश्ता सा जोड़ लेते है। चक दे इंडिया के बाद निर्देशक शिमित अमीन और लेखक जयदीप शाहनी की जोड़ी ने एक बार फिर से कमाल की फिल्म बनाई है जो दर्शको के दिल को छू जाएगी। कहते है ब्यूटीफूल मांइड सफलता की खोज का सबसे बेहतरीन माध्यम है लेकिन ये ब्यूटीफुल माइंड आखिर चीज क्या है?

फिल्म इसी बात की खोज करती है एक सेल्समेन की जिंदगी को आधार बनाकर उसकी सोच , उसके काम करने के तरीके और ईमानदारी कोरे कागज पर लिखी हुई इबारत के साथ एक बेहतरीन फिल्म बनाई है। फिल्म कहती है मार्कशीट पर मिले नंबर सब कुछ नहीं होते जिंदगी की जीत की पटकथा तो रिस्क और कुछ अलग हटके सोच रखने वाले लोग ही लिखते है और आपके आसपास कुछ ऐसे लोग भी होते है जिनकों आप मामली समझते हो और वह कुछ ऐसा जादू कर जाते है जिसकी किसी दूसरे ने कल्पना भी नहीं की होती है।

फिल्म की कहानी हरप्रीत सिंह बेदी (रणबीर कपूर) की जिंदगी पर आधारित है जो बहुत की कम नंबरो से स्नातक है लेकिन एक कंप्यूटर कंपनी में सेल्समेन की नौकरी करता है। चूंकि उसकी नौकरी नई है इसलिए उसके वरिष्ठ उसे कई तरह से परेशान करते है और अपनी ईमानदारी के कारण वह कंपनी के आलाअधिकारियों को भी रास नहीं आता है। लोग उसे एक ऐसा जीरो समझते है जो किसी काम नहीं है। लेकिन इसी बीच वह कंपनी के आईटी से जुड़े एक बंदे, रिसेप्शनिस्ट गौहर खान को अपने साथ जोड़कर ईमानदारी से कस्टमर को पीसी सेल्स करने लगता है और वह भी दूसरी कंपनियों से बेहद कम पैसे में।
धीरे-धीरे कंपनी में रहकर वह रॉकेट सिंह के नाम पर अपनी कंपनी खड़ी कर लेता है जिसके कारण मूल कंपनी को नुकसान होने लगता है। लेकिन राज खुल जाता है, नौकरी के साथ कंपनी भी जाती रहती है। लेकिन कुछ समय बाद हरप्रीत की पहली कंपनी के मालिक को अपनी भूल का अहशास होता है और वह उसकी कंपनी वापस कर देता है और कहता है तू चीज क्या है यार में आज तक नहीं समझ पाया।
दरअसल इस फिल्म का खास बात इसका लेखन है जिसके लिए आप जयदीप साहनी को साधुवाद दे सकते है। जयदीप फिल्मी दुनियां में आने से पहले एनआईआईटी में एक साल तक कंप्यूटर प्रोफेशनल के रुप में काम कर चुके है और इस फिल्म को देखकर ऐसा लगता है उन्होंने अपने आस पास जो देखा है उसे फिल्म में उस बात का टच दिया है। जयदीप के लिए ऐसा करना कोई नहीं बात नहीं है इससे पहले वह ये जादू खोसला का घोसला में भी दिखा चुके है।

कलाकारों में रणबीर कपूर का अभिनय बेहद शानदार रहा है और यह फिल्म उनके अभिनय को एक नया आयाम देती है। गौहर खान ने भी फिल्म में अपने रोल के अनुसार बेहतर काम किया है। शेजान की यह पहली फिल्म है लेकिन इस फिल्म में उनके लिए कुछ खास नहीं था।

फिल्म में गीतों की संख्या कम है हालांकि संगीत बेहद उम्दा है।फिल्म में एक दो और गीत की गुंजाइस बनती थी और यह इस फिल्म की सबसे खास कमी दर्शक को लग सकती है। लेकिन जो भी गीत संगीत है उम्दा है और यह फिल्म लोगों को पसंद आएगी।

फिल्म में रणबीर कपूर के शानदार अभिनय, जयदीप के शानदार लेखन और शिमित अमीन के कमाल के निर्देशन के लिए देखी जा सकती है। ओवर ऑल यह एक बेहद शानदार फिल्म है जिसे कम से कम एक बार हर उस कर्मचारी या मालिक को तो जरूर देखनी चाहिए जो किसी कंपनी से जुड़ा हुआ है। कई बातों से परदा उठाती है यह फिल्म। ओवरआल देखा जाय तो यह एक ऐसी फिल्म है जिसे कम से कम एक बार तो देखा ही जाना चाहिए।

रेटिंग : ***1/2
Rajesh Yadav

टिप्पणियाँ

जरूर देखेंगे इस फिल्म को...आप की समीक्षा पढ़ कर अब तो पक्का सोच लिया है
नीरज
राजीव तनेजा ने कहा…
अब तो देखनी ही पड़ेगी