तुम मिले : भावनात्मक प्रेम कहानी


निर्माता : मुकेश भट्ट
निर्देशक : कुणाल देशमुख
संगीत : प्रीतम
गीत : सईद कादरी, कुमार
कलाकार : इमरान हाशमी, सोहा अली खान, मंत्रा, रितुराज

फिल्म ‘तुम मिले ’प्यार के एहसास और दो दिलों के जज्बात से रुबरू कराती एक भावनात्मक फिल्म है। फिल्म के निर्देशक कुणाल देशमुख ने एक रोमांटिक फिल्म बनाने का प्रयास किया है। दोस्ती और प्यार एक अवसर मात्र नहीं होते बल्कि जिम्मेदारी के एक खूबसूरत अहसास का नाम है, फिल्म के माध्यम से निर्देशक ने यहीं बताने का प्रयास किया है।

फिल्म में मुंबई 26जुलाई 2००५ की बरसात तो एक बहाना है दरअसल असल मकसद तो प्यार के जज्बात को बताना है। उस बरसात में कुछ लोगों ने अपनों को खोया था तो कुछ ऐसे भी लोग थे जिन्होंने अपने प्यार को फिर से खोजा था ऐसे ही जज्बातों की कहानी है तुम मिलें।फिल्म की कहानी की संजना (सोहा अली)और अक्षय (इमरान हाशमी) के प्यार भरी दास्तान को बताने का प्रयास है।

एक ऐसी दास्तान जिसमें प्यार के ब्रेकअप के ६ साल बाद, मुंबई की बरसात में मिलन होने के बाद दिलों में कैद जज्बात हौले हौले बाहर निकलते है और प्यार की गाड़ी जिंदगी की पटरी पर फिर चल पड़ती है। एक तरफ मुंबई की बरसात जिसमें सपनों का शहर की रफ्तार थम जाती तो दूसरी तरफ संजना और अक्षय की प्यार भरी जिंदगी और उसका फ्लैश बैक।अक्षय के असली प्यार और संजना को लेकर उसके दिलों में बैठी प्यार की तीव्रता को संजना इसी बरसता में समझती है।

कुल मिलाकर यह एक सामान्य प्रेम कहानी है जो आहिस्ता आहिस्ता आगे बढ़ती है।कभी कभी जो बात हम अपने होंठों से नहीं कह पाते उसे आसूओं की दो बूंद भी कह देती है,शायद इसीलिए आंसू को खूबसूरत कविता कहा जाता है।फिल्म का संगीत मधुर है और गीतों के बोल लाजवाब है जिसके लिए संगीतकार प्रीतम और गीतकार सईद कादरी और कुमार को साधुवाद दिया जा सकता है ।

कलाकारों में सोहा अली खान ने अपने रोल के साथ पूरा न्याय किया है, इमरान हाशमी कुद द्रश्यों में जहां प्रभावी नजर आतें है तो कहीं कही भाव शून्य भी है। फिल्म लिव इन रिलेशनशिप की बातें करती हुए आज के युवाओं की वर्तमान सोच को भी बताने का प्रयास करती है।निर्देशक कुणाल देशमुख ने प्यार की बात कहने में तो कामयाब नजर आते है लेकिन बरसात के उस मंजर को फिल्मानें में न्याय नहीं कर सकें है। कुछ द्रश्य विदेशी फिल्मों से प्रेरित है, फिल्म की रफ्तार कहीं कहीं बेहद स्लों है और बरसात के मंजर को बताने वाले द्रश्य और भी बेहतर फिल्माएं जा सकते थे। फिर भी रोमांटिक फिल्म पसंद करने वाले दर्शकों के लिए यह फिल्म देखने लायक है।

रेटिंग : 2।५
RAJESHYADAV

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