आगे से राइट : बिंदास है


निर्देशक : इंद्रजीत नट्ट़ूजी


निर्माता : रॉनी स्क्रूवाला


कलाकार : श्रेयस तलपदे, के. के. मेनन, शिव पंडित, माही गिल ,शहनाज ट्रेजरीवाला, श्रुति सेट,


संगीत : अमत्र्य, राम संपतबैनर : यूटीवी मोशन पिक्चर


छोटी-छोटी बातों में शब्दों के हेर-फेर से बुनी गई बेहतरीन कॉमेडी का नाम है आगे से राइट। इस साल अभी तक जितनी कॉमेडी फिल्में आई है उन सब फिल्मों से यह अलग है। प्यार भरी रोमांटिक कॉमेडी रचने में फिल्म निर्देशक इंद्रजीत नट्टूजी सफल रहे है। एक पुलिस सब इंस्पेक्टर अगर अपनी बंदूक खो दे और एक आतंकी किसी के प्रेम में अपना दिल तो हॉस्य तो उत्पन्न होना ही था।


फिल्म में दिनकर वाघमारे (श्रेयस तलपदे) पुलिस सब इंस्पेक्टर है जो अपनी बंदूक अपनी नई नई नौकरी के दौरान खो देते है और इसी बंदूक को खोजने के दौरान उससे कुछ ऐसा हो जाता है कि मीडिया उसे नॉयक बना देता है।


वहीं मुंबई पुलिस के एक कार्यक्रम में बम बलास्ट करने के लिए आतंकी बलमा उर्फ जानूभाई (के के मेनन)भेजा गया है लेकिन वह पर्ल से मोहब्बत कर बैठता है और उसे आतंक से नफरत हो जाती है। फिल्म में मीडिया, पुलिस की भूमिका और प्यार के ख्वाब में डूबे प्रेमियों के किस्सों को बुनकर फिल्म में हॉस्य उत्पन्न किया गया है।


फिल्म में सवांद अच्छे है, शायरी को तोड़ -मोड़ कर उसे नए रुप में प्रस्तुत करने का अंदाज बेहतरीन है, भाषा में दक्षिण भारतीय भाषा, भोजपुरी और हिंग्लिश का मेल -जोल एक नया प्रयोग है।


श्रेयस तलपदे ने अच्छा काम किया है और धीरे धारे वह अपनी पहचान बनाने में कामयाब होते नजर आ रहे है। जानू भाई के रोल में के के मेनन ने भी अच्छा काम किया है। पत्रकार की भूमिका में माही गिल नजर आई है वहीं श्रुति सेठ और शिव पंडित ने अपनी पहचान के अनुरुप काम किया है।
फिल्म में संगीत उम्दा है और इसके लिए राम संपत और अर्मत्य को साधुवाद दिया जा सकता है। बोल कॉमेडी फिल्म के लिहाज से उम्दा है।


कहीं-कहीं फिल्म हल्की जरुर लगती है और थोड़ा सा भटकाव भी दिखता है जिसके लिए निर्देशक की आलोचना की जा सकती है। लेकिन मनोरंजन के लिहाज से बेहतर फिल्म है और खुले दिल से फिल्म देखने लायक है और हॉस्य में गंभीरता खोजने के कोशिश ना करें तो बेहतर होगा।

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