फिल्म समीक्षा : ट्रांसफॉरमर्स : रिवैंज ऑफ द फॉलन


निर्देशक : माइकल बे
श्रेणी : एक्शन, साइंस फिक्शन
कलाकार : शिया ला ब्यूफ मेगन फॉक्स, होल लॉटा

अच्छाई और बुराई का संघर्ष हमेशा रहा है, और जब एक अनदेखे संसार के प्राणियों और और धरती को बचाने वालों के बीच हो तो इस रोमांच की कल्पना की जा सकती है। मानव मन हमेशा धरती से परे दुनिया की खोज में रहा है और एक नये संसार की कल्पना साइंस गल्प में हमेशा रही है।




ऐसी ही संसार और धरती के प्राणियों के बीच अच्छे और बुरे के संघर्ष को पटकथा आधार बनाकर तकनीकी के अद्भुत कौशल से ट्रांसफॉरमर्स : रिवैंज ऑफ द फॉलन को बनाया गया है।

यह फिल्म वैसे तो ट्रांसफार्मर श्रेणी की भाग दो है जो बेहद उम्दा है। अगर आपको तकनीकी, रोबोट्स की दुनिया और कारों की दुनियां का एनीमेशन रोमांच देखना हो तो ट्रांसफार्मर भाग दो को सिनेमा की बड़ी स्क्रीन पर देखना बेहतर विकल्प है।

ट्रांसफार्मर भाग दो में दूसरी दुनिया की बुरी ताकतें धरती पर मानवीय जीवन के लिए खतरा बन जाती है । धरती पर अंधकार को फैलाने के लिए बुरी ताकतें हरसंभव प्रयास करती है लेकिन फिल्म का नायक सैम (शिया ला ब्यूफ), अंतरिक्ष की दुनिया का एक पुराना ऑप्टिमस प्राइम इन बुरी ताकतों के बीच में आ जाता है और अंतत: सच की जीत होती है।

रोबोट्स और ऑटोबोट्स की इस फिल्मी संसार में मानवीय पात्रों के लिए कुछ ज्यादा नहीं था लेकिन सैम और उसकी महिला मित्र मिकेला (मेगन फॉक्स) ने बेहतरीन काम किया है। नायक सवेदनशील, चतुर है और एलियंस की दुनिया और उनकी सोच को समझने वाला है।

फिल्म की शुरुआत बेहद रोमांचक और तेज है । स्पेशल इफेक्ट देखने लायक है। इसी तरह ऑप्टिमस प्राइम को जीवन देने के लिए सैम का पास जाना और बुरी ताकतों द्वारा रोकने के लिए किए जाने वाले संघर्ष का फिल्मांकन प्रभाव छोड़ता है।

तेज साउंड, कारों की दौड़ और कंप्यूटर के द्वारा विकसित पात्रों के बीच की जंग जहां रोमांचित करती है वहीं पटकथा के स्तर पर थोड़ा बेहतर किया जा सकता था। रोबोट्स की लड़ाई में रंगांे का इस्तेमाल थोड़ा बेहतर होता तो फिल्म देखने का अनुभव दर्शक के लिए थोड़ा और मनोरंजक हो सकता था।

फिल्म 2007 में हिट ट्रासंफार्मर भाग वन के स्तर से भाग दो से भले ही थोड़ा पीछे हो लेकिन तकनीकी कौशल में उससे मीलों आगे है।


देखने योग्य ***

RAJESH

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