सिंह इज किंग का सरकार राज जनता के मन भाया




और जनता के मैजिक फिंगर का जादू चल गया है और इस जादू का सबसे शानदार फायदा मनमोहन सिंह को होता नजर आ रहा है। देश में आर्थिक मंदी का माहौल, आतकवाद के मौचें पर सरकार की हो रहीं आलोचना के बावजूद देश ने यूपीए शासनकाल की नीतियों का पसंद किया है।


दरअसल यूपीए की इस जीत को परमाणु करार , आम आदमी के हित में लिए गए कर्ज माफी के फैसलों ने अपना रंग दिखाया है । इसके साथ ही जनता ने यूपीए में एक स्थायित्व को पसंद किया है और मतदाताओं ने वोट देते समय इन बिंदुओं पर बड़े गौर से घ्यान दिया है।


लोकसभा चुनाव 2009 में भाजपा के पीएम इन वेटिंग आडवाणी जी ने जो कालेधन का मुद्दा उटाया था वह कोई खास रंग नहीं दिखा पाया है और अगर आडवाणी जी का प्रधानमंत्री बनने का सपना अधूरा रह जाता है तो इसके पीछे एक स्पष्ठ विजन को देश के सामने न रख पाना भी माना जा सकता है।


यह चुनाव यह भी बताता है कि तीखे भाषण और धार्मिक भावनाओं को भड़का के चुनाव नहीं जीते जा सकते। ऐसा लगता है कि जनता अब धर्म, जाति से ऊपर उटकर स्वच्छ छवि, और बेहतर विजन को घ्यान में रखकर अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया है।


जिस तरह से कांग्रेस ने मनमोहन को आगे रखकर चुनाव लड़ा और जीत का परचम लहराया है उसमें मनमोहन सिंह और ताकतवर और बेदाग होगे निकलकर सामने आए है। जनता ने उनकें पांचसाल के कामकाज को सलाम किया है और सिंह इज किंग को सरकार राज चलाने का आदेश दिया है।

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